6th JPSC Latest News: मेरिट लिस्ट रद करने की अपील पर पांच अक्टूबर को सुनवाई, 326 ऑफिसर करते रहेंगे काम

Ranchi: 6th JPSC Latest News छठी जेपीएससी परीक्षा की मेरिट लिस्ट रद करने के एकल पीठ के आदेश के खिलाफ दाखिल अपील पर अब पांच अक्टूबर को हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि अदालत इस मामले को पूर्ण रूप से सुनकर निष्पादित करना चाहेगी। हालांकि पूर्व में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश बरकरार है।

इसलिए इस मामले में विस्तृत सुनवाई के लिए पांच अक्टूबर की तिथि निर्धारित की जा रही है। इस दौरान अदालत ने कहा कि सभी पक्ष यदि चाहें तो अपना-अपना लिखित वक्तव्य अदालत में दाखिल कर सकते हैं। दरअसल, एकल पीठ ने छठी जेपीएससी परीक्षा की मेरिट लिस्ट को यह कहते हुए रद कर दिया है कि पेपर वन (हिंदी व अंग्रेजी) का अंक कुल प्राप्तांक में नहीं जोड़ा जा सकता है, क्योंकि इसमें सिर्फ क्वालिफाइंग अंक लाना था।

जबकि जेपीएससी ने मुख्य परीक्षा में क्वालिफाइंग अंक को कुल प्राप्तांक में जोड़कर मेरिट लिस्ट तैयार की है। अदालत ने जेपीएससी को संशोधित मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ नौकरी करने वाले प्रार्थी शिशिर तिग्गा सहित सौ से ज्यादा अधिकारियों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। छठी जेपीएससी परीक्षा के तहत 326 पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई है।

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याचिका में कहा गया है कि जेपीएससी की ओर से पेपर वन का अंक जोड़ा जाना सही है, क्योंकि विज्ञापन के अनुसार 1050 अंक के छह पेपर थे। अगर पेपर वन के अंक को नहीं जोड़ा जाता है, तो कुल अंक 950 होते हैं। ऐसे में जेपीएससी की ओर से मुख्य परीक्षा में पेपर वन के अंक को जोड़ कर मेरिट लिस्ट जारी करने में कोई त्रुटि नहीं हुई है। इसलिए एकल पीठ के आदेश को निरस्त किया जाए।

जेएसएससी की नई नियमावली में हिंदी हटाने को लेकर पीआईएल दाखिल
जेएसएससी परीक्षा की नई नियमावली में हिंदी भाषा को हटाने के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। एकता विकास मंच की ओर से अधिवक्ता ऋतु कुमार ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। ऋतु कुमार ने बताया कि याचिका में हिंदी सहित अन्य भाषाओं को भाषा के पेपर से हटाया जाना सही नहीं है।

हिंदी या अंग्रेजी माध्यम से ही राज्य के स्कूलों में शिक्षा दी जाती है। ऐसे में इनको हटाकर स्थानीय भाषा को जोड़ा जाना उचित नहीं है, जिनकी स्कूलों में पढ़ाई भी नहीं की जाती है। उनकी ओर से अदालत से उक्त शर्त को निरस्त करने की मांग की गई है।

बता दें कि इससे पहले कुशल कुमार और रमेश हांसदा की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की जा चुकी है। इसमें कहा गया है कि हिंदी और अंग्रेजी को हटाया जाना और दसवीं व प्लस टू की योग्यता राज्य के संस्थानों अनिवार्य करना समानता के अधिकार का उल्लंघन है।

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